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अहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानो का..!!
कही सपनो से लोगो का ऐतबार ना उठ जाए..!!
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पत्थर तो बहुत मारे थे लोगों ने मुझे,लेकिन जो दिल पर आ के लगा वो किसी अपने ने मारा था..😔😔
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तुझे देखकर भी मैंने अनदेखा किया था मगर..
तुमने देखा देखते हुए, और मैं देखता रह गया..
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नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो,
मैं वही हूँ जिसे तुम दुनिया से अलग बताती थी.. ❤️
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मेरे अलफ़ाज़तो चुरा लोगे..

पर वो दर्दकहाँ से लाओगे
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क्यूँ अब , मेरी याद तक नहीं आती तुझे..!!
कल तक तो मेरा जिक्र था तेरी बात बात में..!!
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कुछ लोग साथ रहकर भी समझा नहीं मुझे..
इस बात का अफसोस है शिकवा नहीं मुझे..
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वो भी शायद रो पड़ी होगी
वीरान कागज़ देख कर,

मैंने उसे आख़िरी ख़त में
लिखा कुछ भी नहीं..
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इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम,
आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते।
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एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया,जितना खाया था नमक मेरा,मेरे जख्मों पर लगा दिया.
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फिर आएगा मेरे हिस्से में समझौता कोई,
आज फिर कोई कह रहा था समझदार हो तुम..
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