मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने को काफी हैं, मेरी किस्मत मेरी लकीरों की मोहताज़ नहीं।
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मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने को काफी हैं,
मेरी किस्मत मेरी लकीरों की मोहताज़ नहीं।
नज़रिया बदल के देख, हर तरफ नज़राने मिलेंगे..! ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे..!!
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अब तो सजाएं बन चुकी है गुजरे हुए वक्त की यादें, ना जानें क्यों मतलब के लिए मेहरबान होते है लोग !!
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