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चले भी आओ कि हम तुमसे प्यार करते हैं, ये वो गुनाह है जो हम बार-बार करते हैं, लोग मौत तक तकते हैं राह
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उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का, पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का ।
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दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।
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