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दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।
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वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे, हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे, वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न थ
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किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें, बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है खामोशी से तुझे
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मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही, ऐ ज़िन्दगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही, बुझ गये अब उसके इंतज़ार क
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ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुजर गए, आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुजर गए, ओ जाने वाले आ कि तेरे इंतजार में,
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फिर आज कोई ग़ज़ल तेरे नाम न हो जाये, कहीं लिखते-लिखते शाम न हो जाये, कर रहे हैं इंतज़ार तेरी मोहब्बत
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